Tuesday, November 9, 2010

सेक्सुअल लाइफ करे हैपी

सेक्सुअल लाइफ करे हैपी
हमारे देश में लोग अपनी सेक्सुअल लाइफ को गंभीरता से नहीं लेते। सेक्सुअल इश्यूज को लेकर थेरेपिस्ट के पास जाना तो उनके लिए अंतिम उपाय होता है। इसका नतीजा होता है, शादीशुदा जिंदगी में फ्रस्ट्रेशन का आना। सेक्स एक्सपर्ट्स ने हमने जाना कुछ ऐसे संकेतों के बारे में, जिन्हें नजरअंदाज करना आपके रिलेशनशिप पर भारी पड़ सकता है:

गिल्ट फीलिंग
लोगों को यह समझाया जाता है कि सेक्सुअल डिजायर रखना शेमफुल, वल्गर या कोई अपराध है। जो अपनी सेक्सुअल डिजायर को जान-बूझकर दबाते और छुपाते हैं, वे आदर के पात्र होते हैं। ऐसे में अगर कोई जवान लड़का किसी खूबसूरत लड़की को देखकर फैंटेसी में खो जाए, तो उसे अपराधबोध होता है। खुद महिला सेक्स की इच्छा जाहिर करने में अपने आप को अपराधी मान लेती है। कुछ केसेस में अगर कोई महिला सेक्स की इच्छा जाहिर करे, तो उसका पति उसे गलत समझता है। यही नहीं, वह उसकी वफादारी पर भी शक करने लगता है। ऐसे एटिट्यूड से कोई थेरपिस्ट ही आपको मुक्ति दिला सकता है।

नीम हकीम
दिक्कत यह है कि हमारे यहां ऐसे पाखंडी लोगों की भरमार है, जो एडवर्टाइजमेंट के जरिए अपने आपको सेक्स स्पेशलिस्ट बताते हैं। ज्यादातर ऐसे लोग अनक्वॉलिफाइड होते हैं। किसी भी प्रॉपर मेडिकल डिग्री के बिना वे मिथ्स फैलाते रहते हैं। मस्टरबेशन हानिकारक है और नाइटफॉल बीमारी है जैसी बातें उन्हीं लोगों ने फैलाई है। सबसे बड़ी प्रॉब्लम तो यह है कि क्वॉलिफाइड मेडिकल प्रैक्टिसनर को कानून अपना विज्ञापन करने की अनुमति ही नहीं देता। इस बात से साबित होता है कि अपने सेक्स क्लिनिक के एड करने वाले लोग धोखेबाज होते हैं। फिर क्वॉलिफाइड सेक्स थेरेपिस्ट की कमी समस्या को और गंभीर बना रही है।

नहीं जानते कि कब कंसल्ट करना है
कई बार लोगों को यह क्लीयर ही नहीं होता कि कंसल्ट कब किया जाए। जब भी महिलाओं को जनन अंगों से संबंधी कोई समस्या होती है, तो वे किसी गायनी के पास जाना बेहतर समझती हैं। हालांकि कई बार सेक्सुअल प्रॉब्लम्स इमोशनल, साइकॉलजिकल और रिलेशनल होती हैं, जो किसी गायनी की एक्सपर्टीज के तहत नहीं आतीं। क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट या कंसलटेंट का साइकॉलजी बैकग्राउंड होता है, जिनमें मेडिकल नॉलेज की कमी होती है। इसलिए ये उन लोगों को जरा भी मदद नहीं कर सकते, जिन्हें सेक्स थेरेपी की जरूरत होती है।

सेक्स थेरेपी के लिए कंसल्ट करें, जब
एटिट्यूडनल इश्यूज से डील करना हो: कई बार महिलाओं और पुरुषों में सेक्स में अपने या अपने पार्टनर के रोल को लेकर एटिट्यूड समस्या रहती है। जैसे कि पहल किसे करनी चाहिए, सही तरीका क्या है, फोरप्ले के लिए उचित समय कितना होना चाहिए, इंटरकोर्स की सही फ्रीक्वेंसी क्या होनी चाहिए, कहां परफॉर्म करना चाहिए या एक्टिव पार्टनर किसे होना चाहिए वगैरह।

पेरवर्टेड सेक्सुअल बिहेवियर
भले ही इसकी वजह बोरडम हो या नया एक्सपेरिमेंट करने की इच्छा, कई बार महिलाएं और पुरु ष पेरवर्टेड सेक्सुअल बिहेवियर शो करते हैं, जैसे एनल सेक्स। अगर यह सही प्रॉस्पेक्टिव में नहीं किया जाए, तो बहुत हानिकारक हो सकता है।

परफॉर्म न कर पाना
अगर कोई पुरुष सेक्स के दौरान अपने पार्टनर के साथ परफॉर्म नहीं कर पाए, तो इस समस्या की डीटेल में जांच करवानी चाहिए।

ऑर्गेज्म तक न पहुंच पाना
महिला को ऑर्गेज्म बहुत संतुष्टि देता है। सेक्स के दौरान अपने पार्टनर के साथ एक्टिव पार्टिसिपेशन के बावजूद अगर महिला ऑर्गेज्म तक न पहुंचे, तो सेक्स थेरेपिस्ट की सलाह जरूर लें।

सेक्स में कैसे आती है उत्तेजना?




पेनिस (लिंग) में इरेक्शन विचार से होता है, स्पर्श से होता है। दिमाग में एक सेक्स सेंटर है। जब वह उत्तेजित होता है तो संदेश लिंग की तरफ जाता है। बदन में खून का प्रवाह तेज हो जाता है। पूरे शरीर में पेनिस में खून का प्रवाह सबसे ज्यादा तेज होता है। इसी वजह से लिंग में उत्तेजना ओर स्त्रियों की योनि में गीलापन आता है। पेनिस के इरेक्शन के लिए योग्य हॉर्मोन का होना जरूरी है। पुरुषों में 60 साल के बाद और महिलाओं में 45 साल के बाद हॉर्मोन की कमी होने लगती है।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है: सेक्स के दौरान या उससे पहले पेनिस में इरेक्शन (तनाव) के खत्म हो जाने को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या नपुंसकता कहते हैं। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कई तरह का हो सकता है। हो सकता है, कुछ लोगों को बिल्कुल भी इरेक्शन न हो, कुछ लोगों को सेक्स के बारे में सोचने पर इरेक्शन हो जाता है, लेकिन जब सेक्स करने की बारी आती है, तो पेनिस में ढीलापन आ जाता है। इसी तरह कुछ लोगों में पेनिस वैजाइना के अंदर डालने के बाद भी इरेक्शन की कमी हो सकती है। इसके अलावा, घर्षण के दौरान भी अगर किसी का इरेक्शन कम हो जाता है, तो भी यह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की निशानी है।
इरेक्शन सेक्स पूरा हो जाने के बाद यानी इजैकुलेशन के बाद खत्म होना चाहिए। कई बार लोगों को वहम भी हो जाता है कि कहीं उन्हें इरेक्टाइल डिस्फंक्शन तो नहीं। सीधी सी बात है कि आप जिस काम को करने की कोशिश कर रहे हैं, वह काम अगर संतुष्टिपूर्ण तरीके से कर पाते हैं तो सब ठीक है और नहीं कर पा रहे हैं तो समस्या हो सकती है। जिन लोगों में यह दिक्कत पाई जाती है, वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उनका कॉन्फिडेंस लेवल भी कम हो सकता है। वजह: इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी। अगर किसी खास समय इरेक्शन होता है और सेक्स के समय नहीं होता, तो इसका मतलब यह समझना चाहिए कि समस्या मानसिक स्तर की है। खास समय इरेक्शन होने से मतलब है- सुबह सोकर उठने पर, पेशाब करते वक्त, मास्टरबेशन के दौरान या सेक्स के बारे में सोचने पर। अगर इन स्थितियों में भी इरेक्शन नहीं होता तो समझना चाहिए कि समस्या शारीरिक स्तर पर है। अगर समस्या मानसिक स्तर पर है तो साइकोथेरपी और डॉक्टरों द्वारा बताई गई कुछ सलाहों से समस्या सुलझ जाती है।

- शारीरिक वजह ये चार हो सकती हैं : चार छोटे एस (S) बड़े एस यानी सेक्स को प्रभावित करते हैं। ये हैं : शराब, स्मोकिंग, शुगर और स्ट्रेस।

- हॉर्मोंस डिस्ऑर्डर्स इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की एक खास वजह है।

- पेनिस के सख्त होने की वजह उसमें खून का बहाव होता है। जब कभी पेनिस में खून के बहाव में कमी आती है तो उसमें पूरी सख्ती नहीं आ पाती और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। कुछ लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि शुरू में तो पेनिस के अंदर ब्लड का फ्लो पूरा हो जाता है, लेकिन वैजाइना में एंटर करते वक्त ब्लड का यह फ्लो वापस लौटने लगता है और पेनिस की सख्ती कम होने लगती है।

- नर्वस सिस्टम में आई किसी कमी के चलते भी यह समस्या हो सकती है। यानी न्यूरॉलजी से जुड़ी समस्याएं भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह हो सकती हैं।

- हमारे दिमाग में सेक्स संबंधी बातों के लिए एक खास केंद्र होता है। इसी केंद्र की वजह से सेक्स संबंधी इच्छाएं नियंत्रित होती हैं और इंसान सेक्स कर पाता है। इस सेंटर में अगर कोई डिस्ऑर्डर है, तो भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो सकता है।

- कई बार लोगों के मन में सेक्स करने से पहले ही यह शक होता है कि कहीं वे ठीक तरह से सेक्स कर भी पाएंगे या नहीं। कहीं पेनिस धोखा न दे जाए। मन में ऐसी शंकाएं भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह बनती हैं। इसी डर की वजह से लॉन्ग-टर्म में व्यक्ति सेक्स से मन चुराने लगता है और उसकी इच्छा में कमी आने लगती है।

- डॉक्टरों का मानना है कि 80 फीसदी मामलों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक होती है, बाकी 20 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें इसके लिए मानसिक कारण जिम्मेदार होते हैं।

ट्रीटमेंट

पहले इस समस्या को आहार-विहार और कसरत करने से ठीक करने की कोशिश की जाती है, लेकिन जब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता तो कोई भी ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले डॉक्टर समस्या की असली वजह का पता लगाते हैं। इसके लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। वजह के अनुसार आमतौर पर इलाज के तरीके ये हैं:

1. हॉर्मोन थेरपी : अगर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह हॉर्मोन की कमी है तो हॉर्मोन थेरपी की मदद से इसे दो से तीन महीने के अंदर ठीक कर दिया जाता है। इस ट्रीटमेंट का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।

2. ब्लड सप्लाई : जब कभी पेनिस में आर्टरीज की ब्लॉकेज की वजह से ब्लड सप्लाई में कमी आती है, तो दवाओं की मदद से इस ब्लॉकेज को खत्म किया जाता है। इससे पेनिस में ब्लड की सप्लाई बढ़ जाती है और उसमें तनाव आने लगता है।

3. सेक्स थेरपी : कई मामलों में समस्या शारीरिक न होकर दिमाग में होती है। ऐसे मामलों में सेक्स थेरपी की मदद से मरीज को सेक्स संबंधी विस्तृत जानकारी दी जाती है, जिससे वह अपने तरीकों में सुधार करके इस समस्या से बच सकता है।

4. वैक्यूम पंप, इंजेक्शन थेरपी और वायग्रा : वैक्यूम पंप, इंजेक्शन थेरपी और वायग्रा जैसे ड्रग्स की मदद से भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को दूर किया जा सकता है। वैसे कुछ डॉक्टरों का मानना है कि वैक्यूम पंप और इंजेक्शन थेरपी अब पुराने जमाने की बात हो चुकी हैं।

- वैक्यूम पंप : आजकल बाजार में कई तरह के वैक्यूम पंप मौजूद हैं। रोज अखबारों में इसके तमाम ऐड आते रहते हैं। इसकी मदद से बिना किसी साइड इफेक्ट के इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का हल निकाला जा सकता है। वैक्यूम पंप एक छोटा सा इंस्ट्रूमेंट होता है। इसकी मदद से पेनिस के चारों तरफ 100 एमएम (एचजी) से ज्यादा का वैक्यूम बनाया जाता है जिससे पेनिस में ब्लड का फ्लो बढ़ने लगता है, और तीन मिनट के अंदर उसमें पूरी सख्ती आ जाती है। लगभग 80 फीसदी लोगों को इससे फायदा हो जाता है। चूंकि इसमें कोई दवा नहीं दी जाती है, इसलिए इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। वैक्यूम पंप आमतौर पर उन लोगों के लिए है जो 50 की उम्र के आसपास पहुंच गए हैं। यंग लोगों को इसकी सलाह नहीं दी जाती है, फिर भी जो भी इसका इस्तेमाल करे, उसे डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

- वायग्रा : इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए वायग्रा का इस्तेमाल अच्छा ऑप्शन है, लेकिन इसका इस्तेमाल किसी भी सूरत में बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करना चाहिए। वायग्रा में मौजद तत्व उस केमिकल को ब्लॉक कर देते हैं, जो पेनिस में होने वाले ब्लड फ्लो को रोकने के लिए जिम्मेदार है। इससे पेनिस में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है और फिर इरेक्शन आ जाता है। वायग्रा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को ठीक करने में फायदेमंद तो साबित होती है, लेकिन यह महज एक टेंपररी तरीका है। इससे समस्या की वजह ठीक नहीं होती।

इनका असर गोली लेने के चार घंटे तक रहता है। वायग्रा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। कई मामलों में इसे लेने के चलते मौत भी हुई हैं। गोली लेने के 15 मिनट बाद असर शुरू हो जाता है।

अगर हाई और लो ब्लडप्रेशर, हार्ट डिजीज, लीवर से संबंधित रोग, ल्यूकेमिया या कोई एलर्जी है तो वायग्रा लेने से पहले विशेष सावधानी रखें और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही चलें।

- सर्जरी : जब ऊपर दिए गए तरीके फेल हो जाते हैं, तो अंतिम तरीके के रूप में पेनिस की सर्जरी की जाती है।

प्रीमैच्योर इजैकुलेशन

प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या शीघ्रपतन पुरुषों का सबसे कॉमन डिस्ऑर्डर है। सेक्स के लिए तैयार होते वक्त, फोरप्ले के दौरान या पेनिट्रेशन के तुरंत बाद अगर सीमेन बाहर आ जाता है, तो इसका मतलब प्रीमैच्योर इजैकुलेशन है। ऐसी हालत में पुरुष अपनी महिला पार्टनर को पूरी तरह संतुष्ट किए बिना ही फारिग हो जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पुरुष का अपने इजैकुलेशन पर कोई अधिकार नहीं होता। आदर्श स्थिति यह होती है कि जब पुरुष की इच्छा हो, तब वह इजैकुलेट करे, लेकिन प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की स्थिति में ऐसा नहीं होता।

- सेरोटोनिन जैसे न्यूरो ट्रांसमिटर्स की कमी से प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या हो सकती है।

- यूरेथेरा, प्रोस्टेट आदि में अगर कोई इंफेक्शन है, तो भी प्रीमैच्योर इजैकुलेशन हो सकता है।

- दिमाग में मौजूद सेक्स सेंटर एरिया में अगर कोई डिस्ऑर्डर है तो भी सीमेन का डिस्चार्ज तेजी से होता है।

- कुछ लोगों के पेनिस में उत्तेजना पैदा करने वाले न्यूरोट्रांसमिटर्स ज्यादा संख्या में होते हैं। इनकी वजह से ऐसे लोगों में टच करने के बाद उत्तेजना तेजी से आ जाती है और वे जल्दी क्लाइमैक्स पर पहुंच जाते हैं।

- कई बार एंग्जायटी, टेंशन और सीजोफ्रेनिया की वजह से भी ऐसा हो सकता है।

दवाएं : प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की वजह को जानने के बाद उसके मुताबिक खाने की दवाएं दी जाती हैं। इनकी मदद से प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसमें करीब दो महीने का वक्त लगता है। इन दवाओं के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।

इंजेक्शन थेरपी: अगर खाने की दवाओं से काम नहीं चलता तो इंजेक्शन थेरपी दी जाती है। इनसे तीन मिनट के अंदर पेनिस हार्ड हो जाता है और यह हार्डनेस 30 मिनट तक बरकरार रहती है। इसकी मदद से कोई भी शख्स सही तरीके से सेक्स कर सकता है। ये इंजेक्शन कुछ दिनों तक दिए जाते हैं। इसके बाद खुद-ब-खुद उस शख्स का अपने इजैकुलेशन पर कंट्रोल होने लगता है और फिर इन इंजेक्शन को छोड़ा जा सकता है।

टोपिकल थेरपी : यह टेंपररी ट्रीटमेंट है। इसमें कुछ खास तरह की क्रीम का यूज किया जाता है। इन क्रीम की मदद से डिस्चार्ज का टाइम बढ़ जाता है। इनका भी कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।

सेक्स थेरपी : दवाओं के साथ मरीज को कुछ एक्सरसाइज भी सिखाई जाती हैं। ये हैं :

स्टॉप स्टार्ट टेक्निक : पार्टनर की मदद से या मास्टरबेशन के माध्यम से उत्तेजित हो जाएं। जब आपको ऐसा लगे कि आप क्लाइमैक्स तक पहुंचने वाले हैं, तुरंत रुक जाएं। खुद को कंट्रोल करें और सुनिश्चित करें कि इजैकुलेशन न हो। लंबी गहरी सांस लें और कुछ पलों के लिए रिलैक्स करें। कुछ पलों बाद फिर से पेनिस को उत्तेजित करना शुरू कर दें। जब क्लाइमैक्स पर पहुंचने वाले हों, तभी रोक लें और रिलैक्स करें। इस तरह बार बार दोहराएं। कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि शुरू करने और स्टॉप करने के बीच का समय धीरे धीरे ज्यादा हो रहा है। इसका मतलब है कि आप पहले के मुकाबले ज्यादा समय तक टिक रहे हैं। लगातार प्रैक्टिस करने से इजैकुलेशन कब हो इस पर काबू पाया जा सकता है।

कीजल एक्सरसरइज : कीजल एक्सरसाइज न सिर्फ प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को कंट्रोल करने में सहायक है, बल्कि प्रोस्टेट से संबंधित समस्याएं भी इससे ठीक की जा सकती हैं। इसके लिए पेशाब करते वक्त स्क्वीज, होल्ड, रिलीज पैटर्न अपनाना होता है। यानी पेशाब का फ्लो शुरू होते ही मसल्स का स्क्वीज करें, कुछ पलों के लिए रुकें और फिर से रिलीज कर दें। इस दौरान इस प्रॉसेस का बार बार दोहराएं। इन सेक्स एक्सरसाइज की प्रैक्टिस अगर कोई शख्स चार हफ्ते तक लगातार कर लेता है तो उसके बाद वह 8 से 10 मिनट तक बिना इजैकुलेशन के इरेक्शन बरकरार रख सकता है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि काफी टाइम बाद सेक्स करने से भी व्यक्ति जल्दी स्खलित हो जाता है। ऐसे मामलों में इन एक्सरसाइजों को कर लिया जाए तो इस समस्या से भी निजात पाई जा सकती है।

मास्टरबेशन

सेक्स के दौरान पेनिस जो काम योनि में करता है, वही काम मास्टरबेशन के दौरान पेनिस मुट्ठी में करता है। मास्टरबेशन युवाओं का एक बेहद सामान्य व्यवहार है। जिन लोगों के पार्टनर नहीं हैं, उनके साथ-साथ मास्टरबेशन ऐसे लोगों में भी काफी कॉमन है, जिनका कोई सेक्सुअल पार्टनर है। जिन लोगों के सेक्सुअल पार्टनर नहीं हैं या जिनके पार्टनर्स की सेक्स में रुचि नहीं है, ऐसे लोग अपनी सेक्सुअल टेंशन को मास्टरबेशन की मदद से दूर कर सकते हैं। जो लोग प्रेग्नेंसी और एसटीडी के खतरों से बचना चाहते हैं, उनके लिए भी मास्टरबेशन उपयोगी है।

नॉर्मल: मास्टरबेशन बिल्कुल नॉर्मल है। सेक्स का सुख हासिल करने का यह बेहद सुरक्षित तरीका है और ताउम्र किया जा सकता है, लेकिन अगर यह रोजमर्रा की जिंदगी को ही प्रभावित करने लगे तो इसका सेहत और दिमाग दोनों पर गलत असर हो सकता है।

कुछ तथ्य

- सामान्य सेक्स के तीन तरीके होते हैं - पार्टनर के साथ सेक्स, मास्टरबेशन और नाइट फॉल। अगर पार्टनर से सेक्स कर रहे हें तो जाहिर है सीमेन बाहर आएगा। सेक्स नहीं करते, तो मास्टरबेशन के जरिये सीमेन बाहर आएगा। अगर कोई शख्स यह दोनों ही काम नहीं करता है तो उसका सीमेन नाइट फॉल के जरिये बाहर आएगा। सीमेन सातों दिन और चौबीसों घंटे बनता रहता है। सीमेन बनता रहता है, खाली होता रहता है।

- मास्टरबेशन करने से कोई शारीरिक या मानसिक कमजोरी नहीं आती।

- पेनिस में जितनी बार इरेक्शन होता है, उतनी बार मास्टरबेशन किया जा सकता है। इसकी कोई लिमिट नहीं है। हर किसी के लिए अलग-अलग दायरे हैं।

- इससे बाल गिरना, आंखों की कमजोरी, मुंहासे, वजन में कमी, नपुंसकता जैसी समस्याएं नहीं होतीं।

- सीमेन की क्वॉलिटी पर कोई असर नहीं होता। न तो सीमेन का कलर बदलता और न वह पतला होता है।

- इससे पेनिस के साइज पर भी कोई असर नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि मास्टरबेशन से पेनिस का टेढ़ापन, पतलापन, नसें दिखना जैसी समस्याएं हो जाती हैं, वे खुद भी भ्रम में हैं और दूसरों को भी भ्रमित कर रहे हैं।

- कुछ लोगों को लगता है कि मास्टरबेशन करने के तुरंत बाद उन्हें कुछ कमजोरी महसूस होती है, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। यह मन का वहम है।

- मास्टरबेशन एड्स और रेप जैसी स्थितियों को रोकने का अच्छा तरीका है।

- कामसूत्र या आयुर्वेद में कहीं यह नहीं लिखा है कि मास्टरबेशन बीमारी है।

- 13-14 साल की उम्र में लड़कों को इसकी जरूरत होने लगती है। कुछ लोग शादी के बाद भी सेक्स के साथ-साथ मास्टरबेशन करते रहते हैं। यह बिल्कुल नॉर्मल है।

मिथ्स क्या हैं

1. पेनिस का साइज छोटा है तो सेक्स में दिक्कत होगी। बड़ा पेनिस मतलब सेक्स का ज्यादा मजा।

सचाई : छोटे पेनिस की बात नाकामयाब दिमाग में ही आती है। दुनिया में ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे पेनिस के स्टैंडर्ड साइज का पता किया सके। वैजाइना की सेक्सुअल लंबाई छह इंच होती है। इसमें से बाहरी एक तिहाई हिस्सा यानी दो इंच में ही ग्लांस तंतु होते हैं। अगर किसी महिला को उत्तेजित करना है, तो वह योनि के बाहरी एक तिहाई हिस्से से ही उत्तेजित हो जाएगी। जाहिर है, अगर उत्तेजित अवस्था में पुरुष का लिंग दो इंच या उससे ज्यादा है, तो वह महिला को संतुष्ट करने के लिए काफी है। ध्यान रखें, खुद और अपने पार्टनर की संतुष्टि के लिए महत्वपूर्ण चीज पेनिस की लंबाई नहीं होती, बल्कि यह होती है कि उसमें तनाव कैसा आता है और कितनी देर टिकता है। पेनिस की चौड़ाई का भी खास महत्व नहीं है। योनि इलास्टिक होती है। जितना पेनिस का साइज होगा, वह उतनी ही फैल जाएगी। बड़ा पेनिस किसी भी तरह से सेक्स में ज्यादा आनंद की वजह नहीं होता।

2. पेनिस में टेढ़ापन होना सेक्स की नजर से समस्या है।

सचाई : पेनिस में थोड़ा टेढ़ापन होता ही है। किसी भी शख्स का पेनिस बिल्कुल सीधा नहीं होता। यह या तो थोड़ा दायीं तरफ या फिर थोड़ा बायीं तरफ झुका होता है। इसकी वजह से पेनिस को वैजाइना में प्रवेश कराने में कोई दिक्कत नहीं होती है। ध्यान रखें, घर में दाखिल होना महत्वपूर्ण है, थोड़े दायें होकर दाखिल हों या फिर बायें होकर या फिर सीधे। ऐसे मामलों में इलाज की जरूरत तब ही समझनी चाहिए योनि में पेनिस का प्रवेश कष्टदायक हो।

3. बाजार में तमाम तेल हैं, जिनकी मालिश करने से पेनिस को लंबा मोटा और ताकतवर बनाया जा सकता है। इसी तरह तमाम गोलियां, टॉनिक आदि लेने से सेक्स पावर बढ़ोतरी होती है।

सचाई : पेनिस पर बाजार में मिलने वाले टॉनिक का कोई असर नहीं होता, असर होता है उसके ऊपर बने सांड या घोड़े के चित्र का। इसी तरह जब पेनिस पर तेल की मालिश की जाती है, तो उस हाथ की स्नायु मजबूत होती हैं, जिससे तेल की मालिश की जाती है, लेकिन पेनिस की मसल्स पर इसका कोई भी असर नहीं होता।

4. पेनिस में नसें नजर आती हैं तो यह कमजोरी की निशानी है।

सचाई : पेनिस में अगर कभी नसें नजर आती भी हैं तो वे नॉर्मल हैं। उनका पेनिस की कमजोरी से कोई लेना देना नहीं है।

5. जिन लोगों के पेनिस सरकमसाइज्ड (इस स्थिति में पेनिस की फोरस्किन पीछे की तरफ रहती है और ग्लांस पेनिस हमेशा बाहर रहता है) हैं, वे सेक्स में ज्यादा कामयाब होते हैं।

सचाई : सरकमसाइज्ड पेनिस का सेक्स की संतुष्टि से कोई लेना-देना नहीं है। यह तब कराना चाहिए जब उत्तेजित अवस्था में पुरुष की फोरस्किन पीछे हटाने में दिक्कत हो।

6. सेक्स पावर बढ़ाने नुस्खे, गोलियां (आयुर्वेदिक और एलोपैथिक), मसाज ऑयल, शिलाजीत आदि बाजार में हैं। इनसे सेक्स पावर बढ़ाई जा सकती है।

सचाई : बाजार में आमतौर मिलने वाली ऐसी गोलियों और दवाओं से सेक्स पावर नहीं बढ़ती। आयुर्वेद के नियम कहते हैं कि मरीज को पहले डॉक्टर से मिलना चाहिए और फिर इलाज करना चाहिए। हर मरीज के लिए उसके हिसाब से दवा दी जाती है, दवाओं को जनरलाइज नहीं किया जा सकता।

एक पक्ष यह भी

यूथ्स की सेक्स समस्याओं पर एलोपैथी और आयुर्वेद की सोच में अंतर मिलता है। जहां एक तरफ एलोपैथी में माना जाता है कि सीमेन शरीर से बाहर निकलने से शरीर और दिमाग को कोई नुकसान नहीं होता, वहीं आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज करने वाले लोग सीमेन के संरक्षण की बात करते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टरों के मुताबिक :

- महीने में दो से आठ बार तक नाइट फॉल स्वाभाविक है, लेकिन इससे ज्यादा होने लगे, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक है।

- मास्टरबेशन करने से याददाश्त कमजोर होती है। एकाग्रता और सेहत पर बुरा असर होता है।

- प्रीमैच्योर इजैकुलेशन और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को आयुर्वेद में दवाओं के जरिए ठीक किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मरीज को खुद डॉक्टर से मिलकर इलाज कराना चाहिए। दरअसल, आयुर्वेद में मरीज विशेष के लक्षणों और हाल के हिसाब से दवा दी जाती है, जिनका फायदा होता है।

- बाजार में आयुर्वेद के नाम पर बिकने वाले मालिश करने के तेल, कैपसूल और ताकत की दवाएं जनरल होती हैं। इन बाजारू दवाओं से सेक्स पावर बढ़ाने या पेनिस को लंबा-मोटा करने में कोई मदद नहीं मिलती। ये चीजें आयुर्वेद को बदनाम करती हैं।

- विज्ञापनों और नीम-हकीमों से दूर रहें। तमाम नीम-हकीम आयुर्वेद के नाम पर युवकों को बेवकूफ बनाकर पैसा ठगते हैं। इनसे बचें और हमेशा किसी योग्य डॉक्टर से ही संपर्क करें।

- मर्यादित सेक्स करने से जिंदगी में यश बढ़ता है और परिवार में बढ़ोतरी होती है, जबकि अमर्यादित और बहुत ज्यादा सेक्स रोगों को बढ़ाता है।

- मल-मूत्र का वेग होने पर और व्रत, शोक और चिंता की स्थिति में सेक्स से परहेज करना चाहिए।

- जो चीजें शरीर को सेहतमंद रखने में मदद करती हैं, वही चीजें सेक्स की पावर बढ़ाने में भी मददगार हैं। ऐसे में अगर आप स्वास्थ्य के नियमों का पालन कर रहे हैं और सेहतमंद खाना ले रहे हैं तो आपको सेक्स पावर बढ़ाने वाली चीजें अलग से लेने की कोई जरूरत नहीं है।

एक्सपर्ट्स पैनल -

डॉक्टर प्रकाश कोठारी, फाउंडर अडवाइजर, वर्ल्ड असोसिएशन फॉर सेक्सॉलजी

डॉक्टर अनूप धीर,

डॉक्टर एल. के. त्रिपाठी, आयुर्वेदिन फिजिशियन....सौजन्य नभाटा।

चुंबन से होती है सेक्स की शुरुआत

सेक्स के जरूरी है कि पार्टनर को सेक्स के लिये तैयार किया जाय. यह प्रक्रिया फोरप्ले कहलाती है. इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है चुंबन. हाल में हुए अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि पूरे आवेग से लिया गया चुंबन एक खास किस्म के कांप्लेक्स केमिकल को दिमाग की तरफ भेजता है, जिससे व्यक्ति खुद को ज्यादा उत्तेजित, खुश अथवा आरामदायक स्थिति में महसूस करता है।
प्यार का इजहार करने के लिए चुंबन से बढ़कर शायद ही कोई दूसरा माध्यम हो। एक प्यार भरा चुंबन प्रेमी या प्रेमिका को दिन भर की तमाम उलझनों से मुक्त करके एक प्यार भरे संसार में ले जा सकता है। चुंबन के महत्व को देखते हुए यहां चुंबन के विभिन्न प्रकारों को बताया जा रहा है-

1.बिगिनर्स किस- इस किस का अर्थ दो होठों के साधारण मिलन से है। यह किस होठों को ब्रुश के समान स्पर्श करके या हल्का दबाकर किया जाता है। इस किस के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं होती। अपने लवर को चारों तरफ से चूमकर इस किस को अंजाम दिया जाता है।

2.बटरफ्लाई किस- अपनी आंखों की बरौनी से प्रेमी के होठों, आंखों के बाल, गाल और गर्दन के स्पर्श को बटरफ्लाई किस कहते हैं।

3.लार किस- इस प्रकार का किस को पूरी गर्मजोशी के साथ किया जाता है। जब आप अपने प्रेमी को पूरी आत्मीयता से किस करें तो अपने होठों को धीर से हटा लें और लार की कुछ बूंदे प्रेम से उनके मुख में टपका दें।

4.फ्रेंच किस- फ्रेंच किस में अपनी जीभ अपने प्रेमी के मुख की कोमल त्वचा में डालकर उसे चारों ओर घुमाया जाता है। मुख से मुख मिलाकर फ्रेंच किस किया जाता है।

5.लवर्स पास- जब आप अपने प्रेमी को कुछ उत्तेजना भरा संदेश देना चाहें तो यह किस अपनाया जाता है। इसमें चाकलेट, फल या बर्फ का टुकड़ा अपने होठों से दबाकर अपने प्रेमी के होठों का स्पर्श किया जाता है। स्पर्श के बाद अपनी जीभ के सहारे दबाया गया टुकड़ा अपने प्रेमी के मुख में डाल दिया जाता है।

6.लस्ट लैप- यह किस पूरे नियंत्रण के साथ किया जाता है। इस किस में होठों से दबाकर चाटा जाता है। अपने होठों से अपने प्रेमी के होठों और त्वचा को सख्ती से दबाकर इसका आनंद लिया जाता है।

7.मेडिवल नेकलेट- कहा जाता है कि इस प्रकार का किस मध्यकाल के नाइट्स अपनी प्रेमिका या पत्‍नी को करते थे, जब वह लो कट नेकलाइन्स पहनती थीं। इस किस में उनकी गर्दन को चारों तरफ से धीरे-धीरे चूमा जाता था। पुरूष और महिलाएं दोनों इस प्रकार के चुंबन का लुत्‍फ उठाते थे।

8.मेडिटिरनियन फ्लिक- कहा जाता है कि इस चुंबन की उत्पत्ति लैटिन के प्रेमियों ने की थी। इस चुंबन का आनंद लेने के लिए लैटिन प्रेमी मिठाई के दानों को अपने प्रेमी के शरीर पर डालते थे। उसके बाद अपनी जीभ से उनके शरीर पर धीरे से हमला करते थे। अपने प्रेमी के शरीर की मनपसंद जगह में इन मिठाई के दानों को डाला जाता था। स्तन और पेट के आसपास के चुंबन से इसका विशेष रूप से आनंद लिया जाता है।

9.नॉटी डॉग- यह किस शरीर के सर्वाधिक संवेदनशील हिस्सों खासकर गर्दन, छाती, पेट और निचली जांघों में किया जाता है। अधखुला मुंह खोलकर इन हिस्सों का स्पर्श किया जाता है। छाती के निचले हिस्सों विशेषकर स्तन के निप्पलों को चूमने में विशेषरूप से आनंद आता है।

10.स्लाइडिंग किस- इस चुंबन में जीभ आगे पीछे गति करती है। जिस प्रकार क्रीम या सॉस को चाटा जाता है ठीक उसी प्रकार स्लाइडिंग किस किया जाता है। फोरप्ले में यह किस काफी उपयोगी होती है।

3 मिनट पर्याप्त है सेक्स के लिये

यहां अक्सर यह सवाल पूछे जा रहे हैं कि सेक्स समय बढ़ाने का उपाय बतायें जिससे पता चलता है कि ज्यादातर लोगों को सेक्स की टाइमिंग के बारे में काफी भ्रम है. जबकि हकीकत कुछ मिनटों की ही होती है.
अमेरिकी और कनाडाई यौन विशेषज्ञों द्वारा सेक्स संबंधी एक नए सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक 'श्रेष्ठतम यौन क्रिया' कुछ ही मिनटों की होती है। सर्वेक्षण में साफतौर पर कहा गया है कि 'लंबी' यौन क्रिया का दावा करने वाले संभवत: झूठ कहते हैं। पेन्न स्टेट विश्वविद्यालय के शोधकर्मियों एरिक कोर्टी एवं जिने गार्डियानी ने सोसायटी फॉर सेक्स थैरेपी एंड रिसर्च के सदस्यों के समूह से बात करने के बाद अपने नतीजे घोषित किए। समूह के सदस्यों में अनेक मनोविश्लेषक, डॉक्टर, समाजसेवी, विवाह एवं परिवार सलाहकार और नर्से शामिल हैं जिन्होंने कई दशकों के अनुभव के आधार पर अपने विचार दिए।
शोधकर्ताओं के अनुसार 'संतोषप्रद' यौन क्रिया का काल तीन से 13 मिनट के बीच का ही होता है। समूह के 68 प्रतिशत सदस्यों ने यौन क्रिया की शुरुआत से अंत तक की भिन्न समयावधियां निर्धारित की।

उन्होंने सात मिनट की अवधि को 'पर्याप्त', 13 मिनट को 'संतोषप्रद', एक से दो मिनट को 'काफी कम', और दस से तीस मिनट को 'उबाऊ' कहा। शोधकर्ताओं के अनुसार आधुनिक समाज में यौन क्रियाओं संबंधी अनेक भ्रामक धारणाओं ने सिर उठा लिया है। अनेक युवक और युवतियां लंबी यौन क्रियाओं की फंतासियां रचने लगे हैं।

उनके अनुसार इस सर्वेक्षण से सेक्स संबंधी अनेक झूठी धारणाओं को समाप्त करने में मदद मिलेगी और इससे यौन संबंधी उदासीनता और असमर्थता पर भी रोक लगेगी।

गर्भधारण के लिये कैसे करें सेक्स

वैसे तो दुनिया में शायद गर्भधारण करना बेहद आसान है। लेकिन कुछ जोड़ों के लिए एक बहुत ही कठिन टास्क की तरह होता है। sexजिसे पूरा करना उनके लिए आसान नहीं होता। इसके पीछे उनके स्वयं के पारीवारिक और अन्य कारण हो सकते हैं। साथ ही शारीरिक अक्षमता भी इसके पीछे एक सबसे बड़ा कारण होती है।

कुछ मामलों में प्रकृति आपसे एक छोटा सा प्रयास मांगती है ताकि वह वंश वृद्धि में आपके साथी की मदद कर सके। पुरुष के शुक्राणु का साथी महिला के गर्भ में जाकर गर्भधारण होना इसके पीछे का एक सामान्य नियम है। महिला के अंडाणु से शुक्राणु का मेल होना और निशेचन की क्रिया का होना ही गर्भधारण का मूल कारण है।

जिसके बारे में प्राय: सभी जानते हैं। लेकिन यहां हम बता रहे हैं गर्भधारण के कुछ ऐसे तरीकों के बारे में जिनके माध्यम से गर्भधारण करना बेहद आसान हो सकता है। गर्भधारण के लिए इन पांच स्थितियों पर विचार कर अपनाया जा सकता है।

मिशनरी या पारंपरिक स्थिति

इस स्थिति में बिस्तर पर पुरुष महिला के ऊपर सीधा लेटा हुआ होता है। इस स्थिति में सेक्स करने पर स्पर्म को सीधे और सरल तरीके से गर्भाशय तक पहुंचने में आसानी होती है। चूंकि लिंग योनी में काफी गहराई तक समाया हुआ होता है। इसलिए यह गर्भधारण करने का सबसे अच्छा और आसान तरीका कहा जाता है।


हिप्स को ऊपर उठाना
इस स्थिति में महिला के हिप्स को ऊपर उठाना होता है। जिसके लिए सामने लेटी महिला के नीचे तकिया आदि रखा दिया जाता है। ऐसा करने पर महिला का गर्भाशय काफी हद तक स्पर्म की पहुंच में आ जाता है। सीमन आसानी से गर्भ तक पहुंचता है और गर्भधारण करना एक सरल प्रक्रिया हो जाती है।

डॉगी स्टाइल

इसमें पुरुष महिला के पीछे होता है और लिंग से निकलने वाला स्पर्म सीधा गर्भ तक जाता है। वैसे यह क्रिया सामान्यत: कम ही अपनाई जाती है। इस स्थिति में भी गर्भ तक स्पर्म आसानी से पहुंचते हैं।


एक दूसरे के बगल में लेटकर
इस स्थिति में महिला व पुरुष एक दूसरे के बगल में लेटकर इंटरकोर्स करते हैं। ऐसा करते वक्त गर्भ को अच्छा एक्सपोजर मिलता है जिससे स्पर्म आसानी से अंदर पहुंचकर निशेचन की क्रिया को आगे बढ़ाकर गर्भधारण में सहायक होते हैं।

महिला का चरम आनंद

यह कोई आसन या स्थिति नहीं है जिसे अपनाकर गर्भधारण को आसान बनाया जाए, बल्कि यह इंटरकोर्स के दौरान होने वाली क्रिया है। इसमें महिला को चरमोत्कर्ष तक पहुंचना होता है। शोध कहते हैं कि यदि महिला इंटरकोर्स के दौरान चरमोत्कर्ष पर पहुंचती है और उसी समय पुरुष के स्पर्म बाहर आते हैं तो महिला का यह चरमोत्कर्ष से पुरुष के स्पर्म को गर्भ की ओर धकेलने का काम करता है। ऐसा होने पर गर्भधारण सबसे आसान होता है।

सेक्स ज्ञान

कैसे मर्द चाहती है भारतीय नारी

भारत में किये गये एक सर्वेक्षण ने मर्द को लेकर भारतीय नारी की पसंद का खुलासा किया है. इस सर्वेक्षण के अनुसार ज़्यादातर भारतीय लड़कियाँ चाहती हैं कि उन्हें ऐसा पति मिले जिसका शादी से पहले यौन संबंध नहीं रहा हो साथ ही उन्हें बेइमान और बेवफ़ा मर्दों से सख़्त नफ़रत है लेकिन ऐसा आदमी पसंद है जो उन्हें समझ सके.
इस सर्वेक्षण में बदलते ज़माने में लड़कियों की बदलती पसंद के बारे में दस भारतीय शहरों में 2,150 लड़कियों से प्रश्न पूछे गए थे.

अभी तक यह धारणा थी अच्छा पैसा, ज़मीन-जायदाद, अच्छी शक्ल और सेहत वाले मर्दों को लड़कियाँ पति के रूप में पसंद करती हैं. लेकिन सर्वेक्षण के अनुसार, "औरतों की ज़रूरत के प्रति आदमी कितना संवदेनशील है यह ज़्यादा महत्वपूर्ण है.''
''उन्हें अपने जीवनसाथी की बात सुननी चाहिए, उन्हें अपने बराबर सम्मान देना चाहिए और उसे ईमानदार होना चाहिए."

सेक्स संबंध
अब तक आप अगर यह समझते थे कि साड़ी में लिपटी रहने वाली भारतीय नारी सेक्स के बारे में बात करने से कतराती थी शायद यह सर्वेक्षण पढ़ने के बाद आँखें खुल जाएँ.

सर्वेक्षण के अनुसार, "किसी भी अच्छे रिश्ते के लिए अच्छे सेक्स संबंध होने भी ज़रूरी हैं. यहाँ तक कि ज़्यादा उम्र की महिलाओं के अनुसार भी अच्छे सेक्स संबंध होने ज़रूरी हैं."
"फिर भी 55 फ़ीसदी महिलाओं का कहना था कि उनके पति का शादी से पहले यौन संबंध नहीं होना चाहिए."
51 फ़ीसदी महिलाओं ने तो यहाँ तक कहा कि उनके पति को किसी भी तरह के यौन संबंधों का अनुभव भी नहीं होना चाहिए जबकि 37 प्रतिशत का कहना था कि अगर थोड़ा-बहुत अनुभव हो तो भी उन्हें कोई एतराज़ नहीं होगा.

पसंद
तो सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय नारी की मर्दों के बारे में पसंद कुछ इस तरह है-

* सबसे बड़ा गुण यह है कि उसमें अपनी बीबी को समझने की क्षमता हो.
* इसके बाद नंबर आता है ईमानदारी का. साथ ही वह महिलाओं का सम्मान करे, बुद्धिमान हो, घरेलू हो और साथ ही वफ़ादार भी हो.
* फिर प्राथमिकता दी गई है कि उसका झुकाव आध्यात्म की ओर हो. इसके अलावा वह एक अच्छा प्रेमी हो जो सेक्स के बारे में नए तरीक़े से सोच सके.
* मर्द की अच्छी शक्ल और पैसा प्राथमिकता की सूची में सबसे बाद में आता है.

नापसंद
अगर आप ऊपर की सूची में अपने किन्हीं गुणों को पाकर अगर यह सोच रहे हैं कि आपकी संभावनाएँ अच्छी हैं तो ज़रा एक नज़र इधर भी डालें कि भारतीय महिलाओं को क्या नापसंद है?

* भारतीय महिलाओं को खूब शराब पीने वाले से सख़्त नफ़रत है.
* इसके बाद ग़ैर ज़िम्मेदार मर्दों का नंबर आता है और फिर ऐसे मर्दों का जो औरतों के बारे में ग़लत-सलत बातें करते हैं.
* तुनक मिज़ाजी मर्दों से भी उन्हें परेशानी है.

सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश महिलाओं ने कहा कि उन्हें अपनी ज़िंदगी में मर्दों की ज़रूरत है.

84 फ़ीसदी महिलाएँ चाहती हैं कि उनके पति घर के काम में उनका हाथ बटाएँ.

अगर पति किसी और महिला के साथ रंगरेलियाँ मनाएँ तो वे क्या करेंगी?
43 फ़ीसदी महिलाओं ने कहा कि वे रिश्ता तोड़ देंगी जबकि 37 फ़ीसदी महिलाओं ने कहा कि वे घर पर बैठकर मातम मनाएँगी. हाँ! 20 फ़ीसदी महिलाओं ने कहा कि वे भी ग़ैर मर्दों के साथ रंगरेलियाँ मनाना शुरू कर देंगी.

और अगर पति हाथ उठाए तो?
इस पर 35 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे भी अपने पति को एक-दो हाथ जमा देंगी. 31 प्रतिशत रिश्ता तोड़ देंगी और 18 प्रतिशत महिलाएँ इस बारे में चुप्पी साध लेंगी.

सेक्स ज्ञान कोई बीमारी नहीं है

  • मुझे कई सवालों भरे मेल आए जिसमें से 60 फीसदी सवालों में स्वप्न दोष बंद करने की जानकारी मांगी गई थी या फिर उसका कोई इलाज पूछा गया था कुछ ने तो यहां तक बताया कि जिस डॉक्टर से वे इलाज करा रहा है उसकी दवा काफी महंगी है कुछ उपाय बताएं कि स्वप्न दोष न हो... आदि-आदि... इससे यह पता चलता है कि आज की युवा व किशोर पीढ़ी किस हद तक अज्ञानता की शिकार है. ये स्वप्न दोष जैसी सामान्य शारीरिक क्रिया को बीमारी मान लेते हैं और नीम हकीम इसी का नाजायज फायदा उठा कर युवाओं को ठगते हैं. यहां हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि स्वप्न दोष कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक सामान्य शारीरिक क्रिया है. चूंकि शरीर में वीर्य का सतत् निर्माण होता रहता है और शरीर से यह वीर्य बाहर सिर्फ तीन तरीकों से आता है-
    1. सेक्स द्वारा
    2. हस्तमैथुन द्वारा
    3. स्वप्न दोष द्वारा
    अब यदि सेक्स व हस्तमैथुन द्वारा वीर्य शरीर से बाहर नहीं आता है तो सामान्यतौर पर यह स्वप्न दोष के तरीके से शरीर से बाहर आता है. इसलिये जो लोग सेक्स या हस्तमैथुन नहीं करते हैं या काफी अंतराल में करते हैं उन्हे स्वप्न दोष की शिकायत हो सकती है. लेकिन यह सामान्य प्रक्रिया है. दरअसल जब किशोर में वीर्य बनने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है तो उससे बाह्य तौर पर जानकारी तो नहीं मिलती साथ ही जब उसका शुक्राशय वीर्य से भर जाता है तो वह वीर्य बाहर आ जाता है और अज्ञानता वश वे इसे कोई बीमारी समझ लेते हैं जबकि यह एक सामान्य प्रक्रिया है. विज्ञान के नजरिये से देखा जाय तो यदि आपके शरीर में वीर्य बनना प्रारंभ हो गया है और आप सेक्स या हस्तमैथुन नहीं करते उसके बाद यदि स्वप्न दोष नहीं होता तो यह चिंता की बात हो सकती है.
    इनके अलावा कब्ज होने पर भी स्वप्न दोष हो सकता है लेकिन यह साधारण समस्या है जो किसी भी योग्य चिकित्सक द्वारा कुछ दिनों में ही ठीक किया जा सकता है.
    मेनोपॉज को लेकर स्त्रियों में बहुत सी भ्रांतियां हैं। कुछ समझती हैं कि उनकी शारीरिक क्षमता कम हो रही है और वे बुढ़ापे की ओर अग्रसर हो रही हैं, तो कुछ मानती हैं कि मेनोपॉज उनके काम-सुख पर रोक लगाता है। जबकि ये भ्रांतियां वास्तविकता से कोसों दूर हैं। मेनोपॉज स्त्री की जनन क्षमता का अंत है, ना कि उसकी शारीरिक-क्षमता और काम-क्षमता का। मेनोपॉज के बाद स्त्री पूर्ण रूप से जीवन-सुख और काम-सुख का आनंद ले सकती है। सही मायने में देखें तो और अधिक आनंद ले सकती है, यदि वह थोड़ा-सा स्वयं को तैयार कर ले तो।

    क्या होता है इसमें
    मेनोपॉज में अंत:स्त्राव ग्रंथियों में परिवर्तन आता है। इसमें अंडाशय अब सामान्य मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन बनाना कम कर देता है। यह उम्र के साथ होने वाली सामान्य प्रक्रिया है। कभी-कभी किसी असामान्य बाह्य प्रभाव से भी अंडाशय के कार्यो पर प्रभाव पड़ता है या फिर गर्भाशय निकाल दिए जाने पर भी मेनोपॉ़ज हो जाता है। हार्मोन्स के असंतुलन से भी मेनोपॉ़ज हो सकता है। सामान्यतया मेनोपॉ़ज की इस प्रक्रिया के प्रति यदि हम अपनी सोच सामान्य रखें तो इसे एंजॉय कर सकते हैं। वे स्त्रियां जो संतुलित आहार वाली जीवन शैली व स्वास्थ्य की धनी हैं, उनमें मेनोपॉज जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में आता है और जीवन सुखद रूप से चलता रहता है। वहीं वे स्त्रियां जो अपने खानपान का ध्यान नहीं रखतीं, अनियमित जीवन शैली अपनाती हैं उनमें मेनोपॉज एक शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता ले कर आता है। उनमें मेनोपॉज के साथ-साथ हॉट फ्लैश, नाइट स्वेटिंग, अनिद्रा या इनसोमेनिया, अनियमित पीरियड्स, काम-इच्छा का लुप्त होना, बहुत जल्दी थकान, सिरदर्द, चक्कर आना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। भारी शरीर वाली व अगतिशील स्त्रियों में गर्भाशय एवं स्तन कैंसर की संभावनाएं भी अधिक होती हैं। करें भावनात्मक तैयारी जब लड़की किशोरावस्था में प्रवेश कर रही होती है तो मां उसे होने वाले परिवर्तनों जैसे पीरियड्स के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करती है, जिससे वह इन परिवर्तनों से विचलित न हो। फिर मेनोपॉज के समय हम स्वयं को शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से तैयार कर जीवंत क्यों न बनाएं। जीवन की नई शुरुआत स्त्रियों में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ यदि संतुलित आहार, नियमित जीवन शैली व व्यायाम का ध्यान रखा जाए तो मेनोपॉज एक नए जीवन की शुरुआत हो सकती है। अनुसंधान सिद्ध करते हैं कि जिन स्त्रियों में फिटनेस लेवल कम होता है उनमें मेनोपॉज से संबंधित परेशानियां अधिक देखने को मिलती हैं। जो स्त्रियां सप्ताह में कम से कम तीन घंटे व्यायाम करती हैं, वे फिट रहती हैं। उच्च उत्तेजक व्यायाम मेनोपॉज के पश्चात् भी अस्थियों की घनत्वता बनाए रखने में सहायक होते हैं। व्यायाम जनन मांसपेशियों में कैंसर प्रतिरोधक का कार्य तो करता ही है, साथ ही मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावनाओं को भी कम करता है। ऐसी स्त्रियों को अपने आहार में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटमिन ई और डी, पेंटोथिक एसिड आदि अवश्य लेने चाहिए। यदि हॉट फ्लैश आते हैं तो सोया, साबुत अनाज, बींस तथा विटमिन ई सहायक होते हैं तो कैल्शियम व विटमिन डी ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में। संतुलित आहार जरूरी अपने आहार में हरी सब्जियां, सैलेड, फल, बिना वसा का दूध, अंकुरित अनाज, पनीर, सोयाबीन आदि अवश्य शामिल करें। प्राकृतिक चिकित्सा में कहा गया है कि 60-90 मिली. चुकंदर का रस दिन में तीन बार लिया जाना मेनोपॉज में होने वाले असंतुलन को संतुलित करता है।

    क्या करें, क्या न करें
    1. अपने शरीर के वजन (1 ग्राम प्रति किलोग्राम) के अनुपात में वसा का सेवन करें, उससे अधिक नहीं। इसमें प्राकृतिक वसा भी सम्मिलित है। उदाहरण-50 किलोग्राम वजन की स्त्रियों को कुल 50 ग्राम वसा एक दिन में लेनी चाहिए।
    2. छोटे-छोटे आहार पांच बार लें।
    3. रोज 1.5 से 2 लीटर तरल पदार्थो का सेवन करें (पानी के अतिरिक्त)।
    4. खाद्य पदार्थो को कम पानी व कम वसा में हलका पकाएं।
    5. ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें।
    6.एनिमल फैट के स्थान पर वेजटेबल फैट का प्रयोग करें।
    7. साबुत अनाज का अधिकतम सेवन करें, वे पौष्टिक तत्व तथा फाइबर प्रदान करते हैं।
    8. मिठाई तथा रिफाइंड शुगर का कम से कम सेवन करें। जो भी खाएं या पिएं खुश होकर उसका सेवन करें, स्वाद लेकर खाएं साथ ही जीने के लिए खाएं, खाने के लिए न जिएं।

    उपयोगी है एक्सरसाइज
    व्यायाम एवं नियमित जीवन शैली के लिए सबसे पहले यह जानें कि आपके शरीर की क्या आवश्यकता है। आइए अब जानें आप क्या-क्या कर सकती हैं-
    1. योग में सूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन द्वितीय एवं तृतीय अवस्था, धनुरासान, सर्वागासन, हलासन, मतस्यासन, पश्चिमोत्तानासन एवं संतुलन आसन करें। ये सभी आसन यदि कमर दर्द हो तो बिना विशेषज्ञ की सलाह एवं देखरेख के न करें।
    2. मुद्राओं में अश्विनी, वजरौली, महामुद्रा एवं महाभेद मुद्रा लाभकारी है। उडि़यान बंध एवं मूल बंध संबंधित मांसपेशियों को सुदृढ़ करते हैं। इनके अतिरिक्त योग निद्रा एवं अंतर मौन लाभकारी हैं। ब्रह्म मुहूर्त का विशेष लाभ उठाएं।
    3. एक्सरसाइज में कॉर्डियो, रेजिस्टेंस तथा फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज को सम्मिलित करें। इन सभी की नियमितता, उत्तेजकता, समयावधि एवं प्रकार आपके अपने शरीर के अनुरूप होनी चाहिए। यद्यपि यह सब विशेषज्ञ की सलाह पर करना चाहिए, फिर भी एक ऐसी स्त्री जो व्यायाम के लिए नई है, साथ ही मेनोपॉज के दौर से गुजर रही है, उसके लिए एक एक्सरसाइज सेशन का उदाहरण प्रस्तुत है -व्यायाम का एक सेशन 45 मिनट का होना चाहिए, जिसमें 5-10 मिनट वॉर्म अप (उत्तेजक व्यायाम) करें, इसके अंतर्गत लो इन्टेसिटी वॉकिंग (हलकी उत्तेजक वॉकिंग) कर सकती हैं। इसके बाद लगातार लगभग 20 मिनट तेज (ब्रिस्क) वॉक करें (अपनी क्षमतानुसार गति रखें)। जिस गति में आप स्वाभाविक हैं, उस गति को लगातार 20 मिनट तक बनाए रखें। इसी गति में बिना विराम लिए 10-15 मिनट में वॉकिंग को धीमा करते हुए निम्न अंगों व कमर की स्ट्रेचिंग करते हुए समाप्त कर दें। इसमें लेग स्ट्रेच, कॉफ स्ट्रेच, ट्रंक रोटेशन, एंकल रोटेशन, बेन्डिंग स्ट्रेच आदि सम्मिलित करें। यह स्ट्रेचिंग अपनी क्षमतानुसार करें। यह सेशन सभी स्त्रियां कर सकती हैं। विशेषज्ञ की सलाह पर आप अपने लिए एक्सरसाइज बैटरी भी तैयार करवा सकती हैं जो आपके लिए सही मायने में रामबाण का कार्य करेगी। अपने मस्तिष्क से यह भ्रम निकाल दें कि यदि आपको गर्भाशय से संबंधित या अन्य कोई और अस्वस्थता है तो आप व्यायाम अथवा योग नहीं कर सकतीं। ऐसे में फिटनेस एक्सपर्ट एवं डॉक्टर की सलाह से आप अपने को चिरयौवन प्रदान कर सकती हैं।