Tuesday, November 9, 2010

सेक्सुअल लाइफ करे हैपी

सेक्सुअल लाइफ करे हैपी
हमारे देश में लोग अपनी सेक्सुअल लाइफ को गंभीरता से नहीं लेते। सेक्सुअल इश्यूज को लेकर थेरेपिस्ट के पास जाना तो उनके लिए अंतिम उपाय होता है। इसका नतीजा होता है, शादीशुदा जिंदगी में फ्रस्ट्रेशन का आना। सेक्स एक्सपर्ट्स ने हमने जाना कुछ ऐसे संकेतों के बारे में, जिन्हें नजरअंदाज करना आपके रिलेशनशिप पर भारी पड़ सकता है:

गिल्ट फीलिंग
लोगों को यह समझाया जाता है कि सेक्सुअल डिजायर रखना शेमफुल, वल्गर या कोई अपराध है। जो अपनी सेक्सुअल डिजायर को जान-बूझकर दबाते और छुपाते हैं, वे आदर के पात्र होते हैं। ऐसे में अगर कोई जवान लड़का किसी खूबसूरत लड़की को देखकर फैंटेसी में खो जाए, तो उसे अपराधबोध होता है। खुद महिला सेक्स की इच्छा जाहिर करने में अपने आप को अपराधी मान लेती है। कुछ केसेस में अगर कोई महिला सेक्स की इच्छा जाहिर करे, तो उसका पति उसे गलत समझता है। यही नहीं, वह उसकी वफादारी पर भी शक करने लगता है। ऐसे एटिट्यूड से कोई थेरपिस्ट ही आपको मुक्ति दिला सकता है।

नीम हकीम
दिक्कत यह है कि हमारे यहां ऐसे पाखंडी लोगों की भरमार है, जो एडवर्टाइजमेंट के जरिए अपने आपको सेक्स स्पेशलिस्ट बताते हैं। ज्यादातर ऐसे लोग अनक्वॉलिफाइड होते हैं। किसी भी प्रॉपर मेडिकल डिग्री के बिना वे मिथ्स फैलाते रहते हैं। मस्टरबेशन हानिकारक है और नाइटफॉल बीमारी है जैसी बातें उन्हीं लोगों ने फैलाई है। सबसे बड़ी प्रॉब्लम तो यह है कि क्वॉलिफाइड मेडिकल प्रैक्टिसनर को कानून अपना विज्ञापन करने की अनुमति ही नहीं देता। इस बात से साबित होता है कि अपने सेक्स क्लिनिक के एड करने वाले लोग धोखेबाज होते हैं। फिर क्वॉलिफाइड सेक्स थेरेपिस्ट की कमी समस्या को और गंभीर बना रही है।

नहीं जानते कि कब कंसल्ट करना है
कई बार लोगों को यह क्लीयर ही नहीं होता कि कंसल्ट कब किया जाए। जब भी महिलाओं को जनन अंगों से संबंधी कोई समस्या होती है, तो वे किसी गायनी के पास जाना बेहतर समझती हैं। हालांकि कई बार सेक्सुअल प्रॉब्लम्स इमोशनल, साइकॉलजिकल और रिलेशनल होती हैं, जो किसी गायनी की एक्सपर्टीज के तहत नहीं आतीं। क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट या कंसलटेंट का साइकॉलजी बैकग्राउंड होता है, जिनमें मेडिकल नॉलेज की कमी होती है। इसलिए ये उन लोगों को जरा भी मदद नहीं कर सकते, जिन्हें सेक्स थेरेपी की जरूरत होती है।

सेक्स थेरेपी के लिए कंसल्ट करें, जब
एटिट्यूडनल इश्यूज से डील करना हो: कई बार महिलाओं और पुरुषों में सेक्स में अपने या अपने पार्टनर के रोल को लेकर एटिट्यूड समस्या रहती है। जैसे कि पहल किसे करनी चाहिए, सही तरीका क्या है, फोरप्ले के लिए उचित समय कितना होना चाहिए, इंटरकोर्स की सही फ्रीक्वेंसी क्या होनी चाहिए, कहां परफॉर्म करना चाहिए या एक्टिव पार्टनर किसे होना चाहिए वगैरह।

पेरवर्टेड सेक्सुअल बिहेवियर
भले ही इसकी वजह बोरडम हो या नया एक्सपेरिमेंट करने की इच्छा, कई बार महिलाएं और पुरु ष पेरवर्टेड सेक्सुअल बिहेवियर शो करते हैं, जैसे एनल सेक्स। अगर यह सही प्रॉस्पेक्टिव में नहीं किया जाए, तो बहुत हानिकारक हो सकता है।

परफॉर्म न कर पाना
अगर कोई पुरुष सेक्स के दौरान अपने पार्टनर के साथ परफॉर्म नहीं कर पाए, तो इस समस्या की डीटेल में जांच करवानी चाहिए।

ऑर्गेज्म तक न पहुंच पाना
महिला को ऑर्गेज्म बहुत संतुष्टि देता है। सेक्स के दौरान अपने पार्टनर के साथ एक्टिव पार्टिसिपेशन के बावजूद अगर महिला ऑर्गेज्म तक न पहुंचे, तो सेक्स थेरेपिस्ट की सलाह जरूर लें।

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